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Saturday, July 12, 2014

सिकंदर चला गया.

जबसे लोगो की आँखों से, पानी चला गया.
बरसा नहीं बादल, खाली चला गया.

रहनुमा की उम्मीद में बैठे हैं सभी.
आया नही अभी तक, कहा चला गया?

वो बेफिक्री, वो आशिकी, वो पागलपन।
हर साँस थामा मगर,वो वक्त चला गया.

ये दौड़ हैं अंधी, एक खेल के मानिंद।
मजा क्या अब इसका, वो बच्चा चला गया.

तुझे नाज है, दौलत का, ठीक हैं नदीम।
देख, अभी-अभी, खाली हाथ, सिकंदर चला गया.

जबसे लोगो की आँखों से, पानी चला गया.
बरसा नहीं बादल, खाली चला गया.

आज इतना ही.
राहुल

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